Sunday, April 20, 2014

खतरनाक है जाति, धर्म, संप्रदाय के वोट बैंक पर चर्चा



देश में सबसे अधिक खतरनाक है आरक्षण की व्यवस्था। इससे अधिक भयावह है धर्म, जाति, क्षेत्र, संप्रदाय, वर्ग पर आधारित वोट बैंक की चर्चा। इस पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए। देश की एकता, अखंडता के लिए यह खतरा है। विविधता में एकता की बात हम सिर्फ किताबों में ही न पढ़ें, भाषणों में ही न बोलें, बल्कि हकीकत में भी प्रयास करें। तभी देश का संपूर्ण विकास संभव हो सकेगा। इस तरह की चर्चा करने और तर्क बताने वालों पर चुनाव आयोग को पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए। अगर हम विश्व के सबसे बड़े संविधान में वर्णित समानता के अधिकार की बात करते हैं तो फिर हमारे सामने भारतीय क्यों नहीं नजर आते हैं? हम क्यों तर्क देते हैं कि यह हिंदू है, मुस्लिम है, सिख है, ईसाई है। ब्राह्मण है, क्षत्रिय है, अनुसूचित जाति का है, जनजाति का है। अगर भारत के किसी एक प्रदेश में रहते हैं तो फिर चुनाव आते ही क्यों खेमे में बंट जाते हैं? जब हम साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं। एक ही अस्पताल में इलाज कराते हैं। एक ही स्रोत का पानी पीते हैं। एक ही कानून व्यवस्था के अधीन संचालित होते हैं। अलग-अलग धर्म ग्रंथ होकर भी हम एक दूसरे की भलाई का पाठ पढ़ते हैं। तब भी हम क्यों...?

Saturday, April 12, 2014

मुनाफे के लालच में पिस रहा देश का भविष्य


देश में करीब 40 करोड़ युवा वोटर है, जो तय करेगा कि देश का भविष्य क्या होगा? देश को किससे हाथों में सौंपा जाना है। इसके बावजूद स्थिति बेहतर नहीं है। नेता युवाओं को छलने में लगे हैं। उन्हें बरगलाने में लगे हैं। धोखा देने में लगे हैं। उनके हितों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उनके भविष्य के साथ अन्याय कर रहे हैं। अगर हम केवल नैनीताल व ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) लोकसभा के युवाओं की बात करें तो बेहद शर्मनाक और हैरान करने वाले तथ्य हमारे सामने हैं। इस क्षेत्र में रुद्रपुर में सिडकुल की कपंनियां हैं। इनमें हजारों युवाओं का शोषण रोजगार के नाम पर किया जा रहा है। उन्हें पंगु बना दिया जा रहा है। 10+2 उत्तीर्ण युवा हों या आईटीआई या पॉलीटेक्निक, कुछ दिन, महीने या साल उनसे काम लिया जाता है। इसके बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। जब जरुरत होती है, तो फिर ऐसे ही नए युवाओं को बुला लिया जाता है। यह युवा नौकरी के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। साथ ही सिडकुल की इन कंपनियों में चंद समय में शोषण का शिकार होने के बाद युवा सिर पकड़कर धरती के बोझ बन जाते हैं। इन युवाओं की ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार नेता 70 प्रतिशत स्थानीय स्तर के लोगों को आरक्षण दिए जाने की बात करते हैं। पर हकीकत में ऐसी कंपनियां अपने भारी मुनाफे के लिए देश के भविष्य को अंधकार में डाल रहे हैं।