पुस्तक समीक्षा
अत्यंत खूबसूरत पहाड़ की पथरीली भूमि का संघर्ष पूर्ण जीवन भले ही अभावों से ग्रस्त था, लेकिन चिंता, तनाव, प्रतिस्पर्धा, भौतिक सुख-सुविधाओं की चकाचौंध से रहित था। कृषि व पशुपालन ही जीवन का आधार था। लोक जीवन के समस्त वैयक्तिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रियाकलाप भी इन्हीं पर आधारित थे। विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले भू-क्षेत्र उत्तराखंड के लोक जीवन का इतिहास 19 वीं शताब्दी से पहले के इतिहास से महरूम रहा है, लेकिन उत्तराखंड का लोकजीवन अब भी अभावों व सुविधाओं में घिस रहा है। इस लोकजीवन व लोकसंस्कृति का विस्तार से वर्णन किया है भाषाविद व संस्कृत के विद्वान प्रो.डीडी शर्मा ने। उत्तराखंड का 'लोक जीवन एवं लोक संस्कृतिÓ नाम से प्रकाशित पुस्तक के प्रथम खंड में आठ अध्याय है। प्रथम अध्याय में उन्होंने उत्तराखंड लोक जीवन की पृष्ठभूमि का वर्णन किया है। दूसरे अध्याय में यहां के लोगों की आवास व्यवस्था किस तरह रही और गांवों के विकसित होने की प्रक्रिया को दर्शाया है। अध्याय तीन में प्रो. शर्मा ने आजीविका के स्रोतों का जिक्र किया है। पहाड़ का लोक जीवन अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किस तरह का था और चिंता मुक्त होकर अपने लिए आवश्यकतानुसार समस्त संसाधन भी जुटा लेता था।
चौथे अध्याय में कृषकीय लोक जीवन और इससे जुड़ी परंपराओं अनुष्ठानों का भी उल्लेख किया गया है। पांचवे अध्याय में पशुपालकीय एवं पशुचारकीय जीवन का वृतांत है। छठे अध्याय में कृषक-पशुचारक वर्गीय नारी का लोकजीवन और पर्वतीय नारी की बेहद कठिन जिंदगी का सार है। सातवें अध्याय में लोक वेषभूषा है तो आठवे अध्याय में नारी के आभूषणों का वर्णन है। नौवे अध्याय में लोकजीवन के भोज्यव्यंजन एवं पेय पदार्थ व 10 वें अध्याय में रीतिरिवाजों को दर्शाया गया है।
दूसरे खंड के आठ अध्यायों में भी लोक सांस्कृति की विस्तृत वर्णन किया गया है। इसके साथ ही लोक संस्कृति का धार्मिक व सामाजिक महत्व भी समझाया गया है। इसके साथ ही लोक विश्वास आस्थाएं, अंधविश्वास की जानकारी भी दी गयी है। लेखक ने कुछ ऐसे कठिन शब्दों का इस्तेमाल किया है कि आम पाठक को समझाने में थोडा माथापच्ची करनी पड़ सकती है। फिर भी उत्तराखंड के विस्तृत लोकजीवन को समझाने के लिए भाषा का उपयोग सहज व सरल तरीके से किया गया है। इससे लगता है कि पुस्तक उनके लिए भी अनूठी साबित होगी जो पहाड़ की जिंदगी से लेकर देश-विदेश में पुन: मेहनत व लगन से नया आशियाना तलाश चुके है।
लेखक- प्रो. डीडी शर्मा
अंकित प्रकाशन, हल्द्वानी पुष्ठ- 406
कीमत 700 रूपये निर्धारित है।
Thank you for visiting my blog and for your kind comment!
ReplyDeleteBless you!!!
Beautiful Grace