Friday, July 22, 2011

मीडिया: करे कोई, भरे कोई


       समाज में चौथा स्तंभ का दर्जा हासिल है मीडिया को। बहुत पावरफुल है मीडिया। मीडिया की आड़ में कुछ भी किया जा सकता है। खासकर ऐसा कार्य, जिसे सामान्य तरीके से अंजाम नहीं दिया जा सकता है। इसमें भले ही किसी तरह का कुकृत्य हो या दलाली। इस तरह का अवैध कार्य केवल बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे शहरों में भी मीडिया की आड़ में धड़ल्ले से हो रहा है। कुमाऊं का प्रमुख शहर हल्द्वानी भी इसकी चपेट में है। पिछले दिनों सहायक पुलिस अधीक्षक पी रेणुका देवी ने एक सैक्स रैकेट का पर्दाफाश किया। शहर की अच्छी-खासी आबादी वाले कॉलोनी में लंबे समय से जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था। जब इस धंधे में लिप्त महिला संचालक को पकड़ा तो उसने खुलेआम इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े एक पत्रकार का नाम लिया। उसने यहां तक कह डाला कि यह पत्रकार पैसा तो लेता था, साथ ही जिस्मफरोशी के धंधे में भी था। इसमें कुछ पुलिस कर्मी भी संलिप्त थे। खबर शहर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई, लेकिन खबरों में संबंधित पत्रकार का नाम नहीं लिखा गया। इसके चलते मीडिया कर्मी एक दूसरे से संबंधित मीडिया कर्मी के बारे में जानने को उत्सुक रहे। पूरे कुमाऊं में इस तरह की चर्चा रही कि आखिर मीडिया कर्मियों को ऐसा करने की क्या जरुरत आन पड़ी होगी। जब समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की श्रेणी में आने वाले लोगों पर ऐसे आरोप लगेंगे तो, इससे मीडिया के प्रति समाज में क्या संदेश जाएगा? क्योंकि इस तरह के कुकृत्य से लेकर दलाली तक के कार्य कुछ तथाकथित लोग मीडिया के आड़ में करते रहते हैं। ऐसे ही लोग अक्सर अपने को पत्रकार होने का दंभ भरते रहतेे हैं। हेकड़ी दिखाकर किसी को डराते हैं तो किसी से वसूली कर लेते हैं। इस तरह के चंद लोगों से मीडिया की साख पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। ऐसे कथित मीडिया कर्मियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस-प्रशासन भी आगे नहीं आता है। क्योंकि, ऐसे कथित मीडियाकर्मी पुलिस व प्रशासन के अपने जैसे ही भ्रष्ट लोगों के साथ सांठगांठ किये रहते हैं, जिसके चलते मनमाफिक कार्य को अंजाम दिया जा सके।

3 comments:

  1. Ganesh ji ye to iss vyvstha ki khami h ye to iss vyvstha m chalte rahega.

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  2. Dear, Ganesh je Samaz Main har taraf ke log rahtey hai..........jismey kuch Sareef..Neek....Imndaar.....or kuch bure log bhee hai....jinko har koi nahi pachan pata hai.......lekin galat ka sath dene wale bhee galat he hotey hai........Media ka yah coloum "karey koi Bharey Koi" isey se milta julta hai....

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Thanks