Thursday, June 6, 2013

उत्तराखंड राजनीति का शर्मनाक नाटक


गणेश जोशी
            
उत्तराखंड के राजनीतिक हालात बेहद खराब हो गए हैं। सरकार को एक साल हो गया है, विकास के नाम पर महज घोषणाएं हो रही हैं। आम जन परेशान हैं। सबसे अधिक खराब स्थिति यहां की व्यवस्था ने कर दी है। इस समय सत्तारूढ दल के आधा दर्जन विधायक अपनी ही सरकार पर विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। शुरूआत कर दी है सीमांत क्षेत्र धारचूला के विधायक हरीश धामी ने, इनके सुर में सुर और कई विधायक भी मिलाने लगे हैं। विधायकों का विकास के नाम पर इस तरह की आवाज बुलंद कराना सराहनीय है। यह विधायक खुलेआम कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सिर्फ घोषणा कर रहे हैं, जमीनी हकीकत में विकास कहीं नहीं हो रहा है। यह पूरी तरह सत्य है। ऐसा केवल छह-सात विधायकों के क्षेत्र में नहीं हो रहा है, जहां दिग्गज कैबिनेट मंत्री हैं, वहां भी विकास की बेहतर आस नहीं की जा सकती है। राज्य में पानी के लिए हैंडपंप लगा दिए, नल लगा दिए लेकिन पानी की बंूद नहीं टपक रही हैै। अस्पतालों के लिए भवन बना दिए डाक्टर नहीं हैं। विद्यालय भवन बना दिए लेकिन शिक्षक नहीं हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सितारंगज विधानसभा क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालय खोलने की घोषणा की, जमीन आवंटन की प्रक्रिया भी हुई। कालेज को 2013-14 सत्र से शुरू करने का दावा किया गया है लेकिन यहां पर प्राचार्य से लेकर अन्य फैकल्टी के पद तक सृजित नहीं है। प्रदेश के हालात चिंतनीय है। अन्य विकास की बात करें तो मानसून ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। बाढ राहत के लिए तमाम योजनाओं के लिए बजट दो साल से रिलीज ही नहीं हुआ है। इसके लिए प्रयास करने के लिए न ही समय राज्य सरकार को है और न ही राज्य से केन्द्र में कैबिनेट मंत्री हरीश रावत को है। बेहद शर्मनाक स्थिति है। केवल बहुगुणा फैक्टर व हरीश फैक्टर के नाम पर राज्य में विकास नहीं हो सकता है।
इस समय जो राजनीतिक हालात बने हुए हैं, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई बार यही विधायक बारी-बारी से राज्य सरकार पर विकास की उपेक्षा का आरोप लगाकर इस तरह का हाइप्रोफाइल नाटक कर चुके हैं। इसके पीछे अगर असल विकास का मकसद है तो निश्चित तौर पर राज्य हित के लिए हैं लेकिन हकीकत में कभी नेता ऐसा करते नहीं हैं। या नहीं कर रहे हैं। अगर अपने हित को साधने के लिए, पद लोलुपता या अन्य कारणों के चलते ऐसा नाटक रचा जा रहा है तो यह शर्मनाक और चिंतनीय है। विकास के इन मामलों विपक्ष में लडाई के लिए विपक्ष को भी आगे आना चाहिए, जो केवल मिशन 2014 के सपने संजो रही है। सबसे सुखद यह है कि विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने राज्य में भ्र्रष्टाचार और विकास के नाम पर जिस तरह की बातें समाज में प्रचारित कर दी हैं, इससे पूरी सरकार सकते हैं आ गई है। कुंजवाल नाराज विधायकों की बयानों का भी समर्थन कर रहे हैं। फिलहाल राज्य के जो भी राजनीतिक हालात बने हुए हैं, इसे किसी भी दृष्टिकोण से जायज नहीं ठहराया जा सकता है, इस तरह की नाटकबाजी, बयानबाजी, गुटबाजी से राज्य के उज्ज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती है। 

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