पिथौरागढ़ के दूरस्थ क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में नौकरी लगने के बाद पढ़ाने गया था, लेकिन मैंने बच्चों की मासूमियत और उनकी सच्ची निगाहों में जो सपने देखे, उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। इसी का परिणाम है कि आज अंडर द स्काई हिन्दी फीचर फिल्म बनाने की तैयारी में जुटा हूं। पिथौरागढ़ निवासी प्रसिद्ध धारावाहिकों के लेखक व कलाकार अहसान बख्श कहते हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों के बच्चों में आसमान छूने के सपने हैं।
अंडर द स्काई फिल्म बच्चे के जीवन पर आधारित है, जो परंपराओं, रीति-रिवाजों को वैज्ञानिक तरीके से सोचता है। इसमें पर्वतीय क्षेत्र के व्यवस्था को भी दर्शाया जाएगा। बच्चा किस तरह वैज्ञानिक बनता है। उसकी राह में कितनी मुश्किलें आती हैं। इस तरह की तमाम मुसीबतों से पार पाते हुए बच्चा अंतत: वैज्ञानिक बनने की राह पर चलता है। फिल्म की शूटिंग कुमाऊं की खूबसूरत वादियों में होगी। पिथौरागढ़ में 12 मार्च 1979 को जन्मे एहसान बख्श का कहना है कि पहाड़ में प्रतिभा की कमी नहीं है। सुअवसरों की तलाश है। बेहतर अवसर मिलने पर पहाड़ के प्रतिभावान युवक शिखर चूमते हैं। उन्होंने कहा कि अध्यापन के दौरान में गांव को करीब से देखने व समझने का मौका मिला। गांव के खेल, तीज, त्योहार को जीने का सौभाग्य मिला। फिल्म समाज को प्रेरित करेगी।
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सुपरहिट रहे हैं एहसान के लिखे धारावाहिक
पिथौरागढ़ में माध्यमिक पढ़ाई के बाद कुमाऊं विवि से बीएड में गोल्ड मेडल रहे। इतिहास से पीएचडी की। रंगमंच के जुनून के चलते ही राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से डिप्लोमा किया और रंगमंडल में बतौर अभिनेता कार्य किया। तीन वर्ष तक सिमलचू गांव में अध्यापन किया। इसके बाद रंगमंच की दुनिया के सपने के साकार करने के लिए निकल पड़े। उन्होंने शार्ट फिल्म आखिरी मुनादी बनायी, जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सराही गयी। उनके लिखे धारावाहिक सुपरहिट रहे। उन्होंने सोनी चैनल पर अंबरधरा, स्टार प्लस पर प्रतिभा, सहारा में 800 एपिसोड का माता की चौकी व कलर्स पर रिश्तों से बड़ी प्रथा समेत तमाम सुपरहिट धारावाहिक लिखे।
Great...............
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