उत्तराखंड में आप का नाटक देखने में मजा आ रहा है। अरविंद केजरीवाल जी जरा उत्तराखंड में आप भी अपनी पार्टी पर नजर दौड़ायें तो आपको भी अजब-गजब स्थिति देखने को मिलेगी। लोकसभा चुनाव होने को हैं। भाजपा व कांग्रेस के साथ ही आप भी तैयारी में जुटी है। ऐसे समय में उत्तराखंड में आप पार्टी में तीन तरह के नेता नजर आ रहे है। इसमें हर नेता अपने को सांसद से कम नहीं समझ रहा है। उसे टिकट मिलेगा या नहीं, स्थिति जो भी होगी लेकिन मैं आपको तीन तरह के नेताओं के बारे में बताना चाहता हूं। जिसे पढ़कर शायद आप भी चौंक जायेंगे।
1- इसमें ऐसे नेता है जो जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ आम आदमी से मतलब है।
2- इसमें ऐसे नेता हैं, जो ओछे टाइप के हैं। जिन्हें कहीं जगह नहीं मिली वह आप में आ गए। उन्हें जमीनी स्तर पर आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं है। विचारों से शून्य हैं। उन्हें तो सिर्फ आप के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी हैं। अपने नाम से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देनी है।
3- इसमें ऐसे नेता है जो स्वयं को प्रकांड विद्वान समझते हैं। यह लोग पहाड़ के हितैषी हैं। पहाड़ के दर्द को बखूबी समझते हैं। पहाड़ के विकास को लेकर प्रतिबद्ध रहते हैं। आदि-आदि।
चाहें तो आप भी खूब टिप्पणी कर सकते हैं। इसे सहेजा जाएगा। इस पर और आगे लेख तैयार हो सकेंगे। एक और टिप्पणी करना चाहता हूं। जब उत्तराखंड में एक क्षेत्रीय दल था। जिसका बुरा हाल यहां के भ्रष्ट, कथित, घमंडी, पदलोलुप, चालाक, महत्वाकांक्षी नेताओं ने कर दिया। इसे हम आप सभी भलीभांति जानते हैं। ऐसे में तीसरे विकल्प के रूप में 'आप' का बेहतर अस्तित्व उत्तराखंड को मिल पाएगा। जल्द उम्मीद करना बेइमानी सा प्रतीत हो रहा है। जय हो...
1- इसमें ऐसे नेता है जो जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ आम आदमी से मतलब है।
2- इसमें ऐसे नेता हैं, जो ओछे टाइप के हैं। जिन्हें कहीं जगह नहीं मिली वह आप में आ गए। उन्हें जमीनी स्तर पर आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं है। विचारों से शून्य हैं। उन्हें तो सिर्फ आप के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी हैं। अपने नाम से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देनी है।
3- इसमें ऐसे नेता है जो स्वयं को प्रकांड विद्वान समझते हैं। यह लोग पहाड़ के हितैषी हैं। पहाड़ के दर्द को बखूबी समझते हैं। पहाड़ के विकास को लेकर प्रतिबद्ध रहते हैं। आदि-आदि।
चाहें तो आप भी खूब टिप्पणी कर सकते हैं। इसे सहेजा जाएगा। इस पर और आगे लेख तैयार हो सकेंगे। एक और टिप्पणी करना चाहता हूं। जब उत्तराखंड में एक क्षेत्रीय दल था। जिसका बुरा हाल यहां के भ्रष्ट, कथित, घमंडी, पदलोलुप, चालाक, महत्वाकांक्षी नेताओं ने कर दिया। इसे हम आप सभी भलीभांति जानते हैं। ऐसे में तीसरे विकल्प के रूप में 'आप' का बेहतर अस्तित्व उत्तराखंड को मिल पाएगा। जल्द उम्मीद करना बेइमानी सा प्रतीत हो रहा है। जय हो...
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