इस समय लोकसभा प्रत्याशी के टिकट को लेकर उत्तराखंड में जिस तरह की चतुराई, चालाकी, धूर्तता के साथ ही धन, यश, पहुंच व रसूख का ऐसा खेला खेला जा रहा है, जिसे सुनकर आम वोटर भी हैरत में पड़ जा रहा है। अभी कांग्रेस ने तो पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन भाजपा में यह ...नाच दिखने लगा है। यहां पर क्षेत्रीय दलों के बारे में चर्चा करना तो व्यर्थ है लेकिन आम आदमी पार्टी के बारे में लोग चर्चा तो कर रहे हैं, पर यह चर्चा फिलहाल हवा में है। जमीनी स्तर पर चंद नेताओं के कथित कारनामों से यह दल भी अन्य दलों की तरह कलंकित ही नजर आ रहा है। ऐसे में वोटरों के सामने बेहतर, योग्य, कर्मठ, जुझारू, दूरदर्शी नेता की पहचान करने की चुनौती है। अगर वोटर केवल हवाई नेताओं के बजाय जमीनी स्तर की समझ रखने वाले को चुने तो निश्चित तौर पर देश में विकास की उम्मीद जग सकती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। काले धन को स्वदेश व विदेश में जमा करने वाले सफेद चेहरे बेनकाब हो सकेंगे। देश के आर्थिक हालात सुधर सकेंगे। विदेश नीतियों से संबंधित जटिल मामलों का समाधान हो सकेगा। अकर्मण्य हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार हो सकेगा। अब देखते हैं यह हमारी कल्पना में ही रह जाता है या फिर कुछ नया देखने को मिलता है।
Tuesday, March 11, 2014
नेताओं की धूर्तता, वोटर हैरत में
इस समय लोकसभा प्रत्याशी के टिकट को लेकर उत्तराखंड में जिस तरह की चतुराई, चालाकी, धूर्तता के साथ ही धन, यश, पहुंच व रसूख का ऐसा खेला खेला जा रहा है, जिसे सुनकर आम वोटर भी हैरत में पड़ जा रहा है। अभी कांग्रेस ने तो पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन भाजपा में यह ...नाच दिखने लगा है। यहां पर क्षेत्रीय दलों के बारे में चर्चा करना तो व्यर्थ है लेकिन आम आदमी पार्टी के बारे में लोग चर्चा तो कर रहे हैं, पर यह चर्चा फिलहाल हवा में है। जमीनी स्तर पर चंद नेताओं के कथित कारनामों से यह दल भी अन्य दलों की तरह कलंकित ही नजर आ रहा है। ऐसे में वोटरों के सामने बेहतर, योग्य, कर्मठ, जुझारू, दूरदर्शी नेता की पहचान करने की चुनौती है। अगर वोटर केवल हवाई नेताओं के बजाय जमीनी स्तर की समझ रखने वाले को चुने तो निश्चित तौर पर देश में विकास की उम्मीद जग सकती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। काले धन को स्वदेश व विदेश में जमा करने वाले सफेद चेहरे बेनकाब हो सकेंगे। देश के आर्थिक हालात सुधर सकेंगे। विदेश नीतियों से संबंधित जटिल मामलों का समाधान हो सकेगा। अकर्मण्य हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार हो सकेगा। अब देखते हैं यह हमारी कल्पना में ही रह जाता है या फिर कुछ नया देखने को मिलता है।
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