Thursday, October 21, 2010

नेपोलियन बोनापार्ट का प्रेम पत्र...

नेपोलियन बोनापार्ट का पत्र जोसेफिन के नाम
1796

  डियर डार्लिंग,
      मैंने एक भी दिन तुम्हें प्यार किए बगैर नहीं गुजारा है। मैंने एक भी रात तुम्हें आलिंगन में लिए बगैर नहीं बिताई है। मैंने एक कप चाय तक उस गर्व और महत्वाकांक्षा को कोसे बगैर नहीं पी है, जिसने मुझे मेरी जिन्दगी की रूह से दूर रखा है। अपने कर्तव्य के निर्वाह के दौरान भी, चाहे मैं सेना का नेतृत्व कर रहा होऊं या शिविरों का मुआयना कर रहा होऊं, मैं अपनी प्यारी जोसेफिन को अपने दिल में अकेली खड़ा पाता हूं। मेरे मस्तिष्क और विचारों में उसी का प्रतिबिम्ब रहता है।
 अगर मैं तूफानी गति से तुमसे दूर जा रहा हूं, तो इसका लक्ष्य यही है कि मैं जल्दी से जल्दी तुम्हारे करीब आ सकूं। अगर मैं आधी रात को भी उठकर काम में जुट जाता हूं तो सिर्फ इसलिए कि मेरा प्रेम और जल्दी मेरे पास लौट सके और फिर भी तेईस और छब्बीस तारीख के अपने पत्रों में तुमने मुझे निष्ठुर कहा है। निष्ठुर तो तुम खुद हो। आह! इतना ठंडा खत तुमने क्यों लिखा? और फिर तेईस और छब्बीस के बीच में चार दिन और भी तो थे, तुम ऐसा क्या कर रही थीं कि अपने पति को पत्र लिखना ही भूल गईं!...आह! मेरे प्रेम, निष्ठुर प्रेम, ये चार दिन मुझे पहले-सा बेफिक्र बन जाने के लिए उकसा रहे हैं, तब जब मैं अपने आप में मस्त रहता था। मेरा कौन सा दुश्मन जिम्मेदार है इसके लिए? सजा और हर्जाने के तौर पर तुम्हें भी इन्हीं भावनाओं में से गुजरना होगा जिनमें से मैं गुजरा हूं। इससे ज्यादा तीखी यातना और क्या होगी? हमसे ज्यादा भयानक स्वप्न और क्या होगा?
  निष्ठुर! निष्ठुर! और दो हफ्ते बाद हालात कैसे होंगे?...मेरी आत्मा बोझिल है, मेरा दिल कसमसा रहा है, और मैं अपनी कल्पनाओं से डरा हुआ हूं। तुम मुझे उतना प्रेम नहीं करती, तुम मेरी कमी के एहसास को बर्दाश्त कर जाओगी। फिर एक दिन तुम्हारे मन में मेरे लिए जरा भी प्यार नहीं रह जाएगा। कम से कम मुझे बता तो दो, मैं ऐसे दुर्भाग्य के क्यों कर योग्य हूं?...विदा, मेरी जीवन संगिनी, मेरी यातना, मेरा आनंद, मेरी उम्मीद, मेरी जिन्दगी की आत्मा- जिसे मैं प्यार करता हूं, और जिससे मैं डरता हूं- जो मेरे मन में इतनी कोमल भावनाएं भर देती हैं कि मैं शांत प्रकृति के एक हिस्से को किस तरह महसूस करता हूं- और इतना हिंसक आवेग भी कि मैं किसी तूफान की तरह महसूस करता हूं।
  मैं तुमसे न तो चिरंतन प्रेम की चाह रखता हूं, न वफादारी की, सिर्फ सत्य की, ईमानदारी की चाह रखता हूं। जिस दिन तुम कहोगी, 'मैं तुमसे कम प्रेम करती हूं, वह मेरे प्रेम का और जीवन का आखिरी दिन होगा। अगर मेरा दिल ऐसा दिल हुआ कि बिना तुम्हारा प्रेम पाए भी तुमसे प्रेम करता रहे, तो मैं इसे चीरकर रख दूंगा। जोसेफिन! जोसेफिन! याद रखो मैंने कई बार तुमसे क्या कहा है- प्रकृति ने मुझे एक पुंसत्वपूर्ण और निर्णायक चरित्र दिया है जबकि तुम्हारा चरित्र उसने रेशम और मखमल से बुना है। क्या तुमने मुझसे प्रेम करना छोड़ दिया है? मुझे क्षमा करना, मेरे प्यार, मेरी जिन्दगी के प्यार, मेरी आत्मा कई द्वंद्वों से संघर्ष कर रही है।
 मेरा दिल, जो तुम्हारे प्रति मेरे ईष्र्यालु प्रेम से सराबोर है, कई बार मुझे विचित्र भयों से भर देता है, और मैं बहुत दुखी हो जाता हूं। मैं इतना हताश हूं कि मैं तुम्हारा नाम भी पुकारना नहीं चाहूंगा, मैं तुम्हारे हाथ से लिखा पत्र देखने की प्रतीक्षा करूंगा।
  विदा! आह! अगर तुम मुझसे कम प्रेम करती हो तो इसका मतलब है कि तुमने मुझसे कभी प्रेम किया ही नहीं था। फिर तो मेरी हालत सचमुच बहुत दयनीय हो जाएगी।
                                                                                                                                        बोनापार्ट

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