मुझे सत्ता व सिंहासन नहीं दे सकता है यह मुकाम
योग का राष्ट्रधर्म के साथ तालमेल बनाते हुए देश में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए राजनीति का सहारा लेना होगा। वर्तमान सरकारें भ्रष्टाचार रोकने में असमर्थ हो रही हैं, अगर यही हाल रहा तो दो साल बाद राजनीति में आने के लिए पत्ते खोल दूंगा।
गुरुवार को योगर्षि स्वामी रामदेव वानिकी प्रशिक्षण संस्थान में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्ता और सिंहासन उन्हें वो कुछ भी नहीं दे सकता है, जो उन्हें अभी हासिल है। उनका उद्देश्य देश को भ्रष्ट, बेईमान, कायर, कमजोर, शक्तिहीन एवं मूर्ख लोगों से बचाना है। ऐसे लोगों केहाथों देश की सत्ता को जाने से रोकना है। पानी की तरह ऊपर से नीचे बह रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राजनीति दलों से बातचीत हुई। इसमें एक दल ने तो इस मुहिम में शामिल होने से मना कर दिया। दूसरे दल ने 60 से 70 प्रतिशत तक शुद्धि किये जाने पर सहमति जतायी। तीसरे दल ने पूरी तरह साथ चलने की बात कही है। अगर यह दल चारत्रिक, आपराधिक छवि वाले नेताओं को उम्मीदवार नही बनायेंगे तो आगे देखा जा सकता है। इसमें उनकी भूमिका केवल गुरु की तरह होगी। उन्होंने कहा कि बड़ी करेंसी बंद होनी चाहिये। अगर विकसित देश बड़ी करेंसी नहीं छापते हैं तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस बात को स्वीकार किया है। केन्द्र सरकार बेईमान है, इसलिए वह कानून नहीं बना रही है। एक सवाल के जवाब में स्वामी रामदेव ने कहा कि महर्षि महेश योगी के नाम से लोग परिचित नहीं थे लेकिन देश में अंतिम व्यक्ति से खास व्यक्ति भले ही उनका नाम नहीं जानता हो लेकिन उनके ध्येय से परिचित है। देश के 624 जिलों में 15 संगठन क्रियाशील हैं। उन्होंने कहा कि जो भी देश में रहकर देशद्रोह की बात करता है तो उसमें समझौता नहीं करना चाहिये। उन्होंने कहा कि गंगा की धारा अविरल बहनी चाहिये लेकिन विकास भी होना चाहिये। वे छोटे बांध बनाने के पक्षधर हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास के कार्य कर रही है, इसकी गति और तेज होनी चाहिये। स्वामी रामदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने विकास के द्वार खोले थे, उन्होंने उनके मिशन में किसी तरह का अवरोध डालने का प्रयास नहीं किया।
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