Monday, August 22, 2011

भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाएगा मेरा देश

      
      मेरे मुहल्ले में रहने वाले एक छोटे व्यापारी नहीं जानते हैं कि जन लोकपाल बिल क्या है? फिर भी वह देश की खातिर इस आंदोलन में शरीक होना चाहते हैं। दिल्ली रामलीला मैदान में जाने की बात करते हैं। उनके दिमाग में केवल एक प्रश्न कौंध रहा है, अगर यह आंदोलन सफल रहा तो देश के भ्रष्ट नेताओं को सजा मिलेगी। ऐसे नेता जेल के अंदर होंगे। कड़ी से कड़ी सजा इन्हें मिलेगी। देश में राम राज्य होगा। बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए घूस नहीं देनी पड़ेगी। बिजली का कनेक्शन लेना हो या पानी का कनेक्शन। जमीन की रजिस्ट्री और दाखिल खारिज कराना हो। कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करानी हो या जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना हो। ट्रांसफर कराना हो या पोस्टिंग करानी हो। बैंक से लोन लेना हो या फिर किसी व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार से कोई योजना मंजूर करानी हो। समाज सेवा के नाम पर गैर सरकारी संगठनों के संचालकों को विभाग से काम लेना हो या टेंडर पास कराना हो। तहसील कार्यालय मानो भ्रष्टों का अड्डा हो। किसी तरह के प्रमाण पत्र की आवश्यकता हो, बिना सुविधा शुल्क (घूस) के शायद ही आपका काम होगा। ड्राइविंग लाइसेंस बनाना हो या पासपोर्ट ही क्यों न बनाना हो। बिना दलाल के मदद से आपका यह कार्य संभव नहीं होगा। खुफिया रिपोर्ट भी आपकी तभी ठीक लगेगी, जब आप उस कर्मचारी की जेब गर्म करोगो, नहीं तो देखते ही रह जाओगे। सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने में भी हर कदम पर आपको व्यक्तिगत तौर पर डाक्टर से लेकर नर्स तक को पैसा देना होता है। मेडिकल सार्टिफिकेट भी बिना सुविधा शुल्क के नहीं बनाया जाता है। एक तरह से यह तो छोटे स्तर का भ्रष्टाचार है। बड़े स्तर के भ्रष्टाचार की परिधि में तो टू जी स्पेक्ट्रम से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों सरीखे घोटालों को याद किया जा सकता है। छोटे से बड़े कार्य को करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कदम-कदम पर घूस लेना होता है या फिर देना होता है। चाहे यह मजबूरी में दिया जाय या फिर सुविधा शुल्क के तौर पर। आखिर भ्रष्टाचार को ही इंगित करता है। जन-जन के अन्ना के जन लोकपाल बिल से कितने तरह का भ्रष्टाचार दूर होगा, अभी शायद ही इस पर कोई स्पष्ट तौर नहीं कह रहा है।

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