Sunday, February 2, 2014

उत्तराखंड आओ सीएम सीएम खेलें



नौ नवंबर 2000 को राज्य बना। उम्मीदें बहुत थी। राज्य के लिए मर मिटने वालों ने जो सपने संजोए थे, वह 13 साल में भी पूरे नहीं हो सके। सपने उनके पूरे हुए, जो ग्राम प्रधान तक नहीं बन सकते थे, आज सीएम सीएम खेल रहे हैं।




दृश्य एक...
उत्तराखंड देश का ऐसा राज्य बन गया है, जहां हर नेता को सीएम सीएम खेलने में मजा आ रहा है। उसे राज्य के मूलभूत विकास से कोई लेना-देना नहीं है। रोजगार की योजनाओं से मुंह मोड़ चुका है। गरीबी से उसे कोई मतलब नहीं। विकास योजनाएं उसे तब तक अच्छी लगती हैं, जब तक उसे कमीशन नहीं मिल जाता है। जब कमीशन मिला तो हो गया विकास। प्रकृति की सुरम्य वादियों में बसे छोटे से राज्य उत्तराखंड की खूबसूरती पर नेताओं की कुदृष्टि इसे पैदा होते समय ही पड़ गई थी। नौ नवंबर 2000 को राज्य बना। उम्मीदें बहुत थी। राज्य के लिए मर मिटने वालों ने जो सपने संजोए थे, वह 13 साल में भी पूरे नहीं हो सके। सपने उनके पूरे हुए, जो ग्राम प्रधान तक नहीं बन सकते थे, आज सीएम सीएम खेल रहे हैं। उनके लिए सीएम बनना तो महज ब्लाक प्रमुख बनने जैसा हो गया है। सीएम सीएम खेलते-खेलते नौ नवंबर 2000 से एक फरवरी 2014 तक आठवें सीएम हरीश रावत पद व गोपनीयता की शपथ ले चुके हैं। अब यह क्या करिश्मा दिखायेंगे, वक्त तय करेगा लेकिन यहां पर सीएम सीएम खेलने के दृश्य पर नजर डालेंगे तो आप भी आश्चर्य में पड़ जायेंगे।

दृश्य दो...
राज्य बना नेताओं की मौज आ गई। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी नित्यानंद स्वामी की हुई। यहीं से प्रदेश की राजनीति का स्तर घटिया होने लगा। जब नित्यानंद विराजमान थे तो दूसरे गुट के भगत सिंह कोश्यारी की हसरतें कुलाचें मारने लगी। अंतरिम सरकार के दिन पूरे होते उन्हें भी सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। वर्ष 2002 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस के हाथ बाजी लग गई। कांग्रेस हाईकमान ने नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बना दिया लेकिन फिर हरीश रावत को निराश होना पड़ गया। पांच साल निकल तो गए लेकिन दूसरे गुट की बेचैनी कम नहीं हुई। वर्ष 2007 में दूसरे विधानसभा चुनाव हुए। इसमें भाजपा ने बाजी मार ली। यहां फिर सीएम सीएम खेलने में विकास की तो हवा निकल गई लेकिन सांसद सेवानिवृत मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूड़ी को कुर्सी सौंप दी गई। फिर क्या था? दूसरे गुट ने खंडूड़ी को विकास विरोधी बताना शुरू कर दिया। जैसे तैसे सीएम कड़क अंदाज में चल रहे थे तो फिर सीएम सीएम खेलने के दौरान डा. रमेश पोखरियाल निशंक सीएम बना दिए गए। कुछ समय बाद यह भी नहीं चल पाए तो, पांच साल के शासन में फिर बीसी खंडूड़ी को सीएम बना दिया। ईमानदारी की मिसाल पेश कर दी गई। 2012 में चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी भाजपा से केवल एक सीट आगे रही और सरकार बनाने में कामयाब हो गई। फिर कांग्रेस हाईकमान ने सांसद विजय बहुगुणा को सीएम बना दिया। दूसरे गुट ने प्रदेश में हल्ला मचा दिया, विकास तो ठप हुआ लेकिन सीएम सीएम खेल शुरू हो गया। सीएम बहुगुणा गए और केन्द्र सरकार में जल संसाधन मंत्री मंत्री हरीश रावत को कुर्सी सौंप दी।
अब तो जय हो.... उत्तराखंड का।

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